मप्र : पहली बार यूज होगा VVPAT, सफल रहा तो देशभर में लागू होगा
इसे उत्तरप्रदेश चुनाव में लग रहे धांधली के आरोपों का असर कहें या फिर निर्वाचन आयोग का धीरे-धीरे मतदान संबंधी सुधारों की और बढ़ना। जो भी हो, बदलाव अच्छा है। इसका स्वागत किया जा रहा है। निर्वाचन आयोग की पहल पर मध्यप्रदेश में चुनाव सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है। आगामी नौ अप्रैल को प्रदेश में होनेवाले अटेर और बांधवगढ़ विधानसभा उपचुनाव में पहली बार वोटर वेरिफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) का उपयोग होगा। मध्यप्रदेश की मुख्य निर्वाचन अधिकारी सलीना सिंह ने बताया है कि उपचुनाव में वीवीपीएटी का प्रयोग सफल होने के बाद इसे आगामी विधानसभा और आमचुनाव में लागू करने के प्रयास होंगे। निर्वाचन आयोग ने पारदर्शिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राजनीतिक दलों से परामर्श से वीवीपीएटी का प्रयोग करने का फैसला लिया है। हाल में पंजाब एवं उत्तरप्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में वीवीपीएटी का इस्तेमाल किया गया था। इस प्रक्रिया में मतदान करते समय मतदाता को पता चलेगा कि उसने जो मतदान किया, वह सही है या नहीं। इसके लिये मतदाता को सात सेकंड का समय मिलेगा। बाद में प्रिटेंड पेपर स्लिप रिकार्ड के तौर पर रखी जायेगी। दोनों उपचुनाव में 830 वीवीपीएटी का उपयोग होगा। श्रीमती सलीना सिंह ने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग के नये निर्देशों के अनुसार अब मतदान केन्द्र के 100 मीटर के बाहर लगने वाले राजनीतिक दलों के पंडाल आदि का खर्च सम्बंधित उम्मीदवार के खाते में जोड़ा जायेगा। बीएलओ की ओर से वितरित की जानेवाली मतदाता पर्ची में से जो बचेंगी, उन्हें रिटर्निंग ऑफिसर को सौंपा जायेगा। पर्चियों को मतदान के दिन मतदाता को देने को व्यवस्था की जायेगी। उन्होंने बताया कि अटेर और बांधवगढ़ उपचुनाव को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिये सभी तैयारियां की जा रही हैं। सुरक्षा के पुख्ता इंतजामात के लिये 20 कंपनी पुलिस की तैनाती की मांग की गई है। उन्होंने स्वतंत्र चुनाव के लिये राजनीतिक दलों से सहयोग करने को कहा गया है। अबतक जो दो शिकायतें प्राप्त हुई हैं, उन पर कार्रवाई की जा रही है। उपचुनाव में उम्मीदवार की व्यय-सीमा 28 लाख रुपये निर्धारित है। आयोग के नये निर्देशों के अनुसार नाम निर्देशन-पत्र फार्म में अभ्यर्थी द्वारा छायाचित्र के साथ नागरिकता की जानकारी भी दी गई है। सार्वजनिक स्थानों पर सार्वजनिक धन या शासकीय मशीनरी का उपयोग राजनीतिक दल के प्रचार में व राजनीतिक दल के प्रतीक चिह्न के उपयोग को प्रतिबंधित किया गया है।