जबलपुर। बुजुर्ग माता पिता को खाने पीने के लिए
तरसाना, या उन्हें घर से निकाल देने वाली संतानों
के लिए एक बुरी खबर है। प्रदेश में पहली बार एक
पिता की संपत्ति धोखे से अपने नाम कराने वाले बेटों
की रजिस्ट्री शून्य कर दी गई है। चार बेटों ने अपने
पिता पुश्तैनी जमीन हथिया ली, साथ ही उन्हें घर
से भी निकाल दिया। कोर्ट ने मानवीय पहलुओं पर
विचार करते हुए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया और
हथियाई गई जमीन की रजिस्ट्री शून्य घोषित कर
दी। जबलपुर एसडीएम कोर्ट ने मंगलवार को यह फै
सला सुनाया। यह माता-पिता के साथ संतान के
अत्याचार के मामलों में नजीर बन सकता है।
यह था आरोप-
91 साल के वृद्ध प्रीतमलाल कुर्मी ने माता-पिता
भरण-पोषण अधिनियम के तहत एसडीएम कोर्ट में
आवेदन किया था। आवेदन में पिता का आरोप था
कि चारों बेटे कालूराम पटैल, बिहारी लाल पटैल,
किशन पटैल, शील कुमार ने उनकी बम्होरी, पनागर
स्थित 14 एकड़ से ज्यादा पुश्तैनी जमीन अपने
नाम पर करा ली और बाद में उन्हें घर से बाहर का
रास्ता दिखा दिया। पहले बेटों ने स्टाम्प पर
लिखकर दिया था कि वे जीवनभर सेवा करेंगे। लेकिन
उनके रहने और खाने की भी व्यवस्था नहीं की गई।
एेतिहासिक फैसला-
एसडीएम जबलपुर ओम नमो अरजरिया ने आदेश में
स्पष्ट किया कि भारतीय परंपरा के अनुसार पुत्रों
को वयोवृद्ध माता-पिता का पूरा ख्याल रखना
चाहिए। उनके खाने, इलाज से लेकर भावनात्मक रूप
से भी उन्हें सहारा देना चाहिए। ये पुत्रों का
वैद्यानिक व नैतिक कर्तव्य है।
बेटों ने पिता को बहला-फुसलाकर जमीन का बंटवारा
करवा लिया। उस वक्त पिता से कहा गया कि
जीवनभर ख्याल रखेंगे। उनकी सुख-सुविधाओं का
पूरा ख्याल रखेंगे। लेकिन एेसा नहीं किया जा रहा है।
एसडीएम न्यायालय ने इसे पिता के साथ पुत्रों
द्वारा छलकपट मानते हुए जमीनों के पंजीकृत बैनामा
को शून्य घोषित किया। इस आदेश की प्रति उप
पंजीयक व तहसीलदार पनागर को भेजी गई कि
पंजीयन निरस्त कर पुन: आवेदक नाम शासकीय
अभिलेख में दर्ज करें।
भरण-पोषण का भी रखना होगा ख्याल-
मामले में ये भी फैसला सुनाया कि चारों पुत्र हर
महीने की 1 से 5 तरीख के बीच दो-दो सौ रुपए
यानी कु ल एक हजार रुपए भरण-पोषण के रूप में
पिता के खाते में दर्ज कराएं। अगर बैंक खाता नहीं
है तो खाता खुलवाएं। हर पुत्र एक-एक माह के
अंतराल में पिता को अपने साथ रखे। उनके भोजन,
कपड़ा व दवाइयों की व्यवस्था संयुक्त रूप से करें।
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