मण्डला : खरीफ में कृषकों द्वारा लगाई जाने वाली तिलहनी फसलें मूंगफली, सोयाबीन, सूर्यमुखी, तिल, रामतिल एवं अरण्डी आदि फसलों के उत्पादन वृद्धि हेतु कृषकों के लिये महत्वपूर्ण सुझाव – किसान भाई रबी एवं जायद की फसल कटाई उपरांत गहरी जुताई करें, जिससे कीड़ों के अंडे एवं खरपतवार के बीज नष्ट हो जाए। किसान भाई मृदा का परीक्षण करवायें एवं मृदा परीक्षण की प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार खाद एवं उर्वरकों का उपयोग करें।
किसान भाई अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केन्द्र, रिसर्च स्टेशन एवं कृषि विभाग से संपर्क कर उस क्षेत्र के लिए अनुशंसित किस्में एवं तिलहनी फसलों की आधुनिक शस्य तकनीक की जानकारी लेवें, एवं खरीफ वर्ष के पूर्व में ही बीज, उर्वरक एवं पौध संरक्षण दवाओं इत्यादि की तैयारी कर लेवें। पर्याप्त वर्षा होने पर ही बीज की बुआई करें।
किसान भाई मूंगफली की ज्योति एवं जे.एल.-24 किस्मों का उपयोग कर सकते है। सूर्यमुखी के बीज का बीजोपचार थायरम या केप्टान 2-3 ग्राम/कि.ग्रा. की दर से करें एवं डीआरएसएफ-113 किस्म का प्रयोग करें। तिल के बीज का उपचार केप्टान 2-5 ग्राम/कि.ग्रा की दर से करे। तिल की जवाहर तिल-12 , जवाहर तिल-14, टीकेजी-306 किस्मों का भी प्रयोग कर सकते है।
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