देश की आज़ादी के लिए वर्ष 1942 में छेड़े गए ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में कहा कि जीवन की अच्छी घटनाओं को याद करने से ताकत मिलती है, और नई पीढ़ी तक सही बात पहुंचाना हमारा कर्तव्य रहता है. पीढ़ी-दर-पीढ़ी स्वर्णिम पृष्ठों को आने वाली पीढ़ियों को पहुंचाना हमारा दायित्व रहता है.
उन्होंने कहा, देश के स्वतंत्रता आंदोलन में इतने व्यापक और तीव्र आंदोलन की कल्पना अंग्रेजों ने नहीं की थी. महात्मा गांधी समेत कई नेता जेल चले गए और उसी समय कई नए नेताओं का भी जन्म हुआ. लाल बहादुर शास्त्री और राम मनोहर लोहिया समेत कई नेताओं ने उस समय उस जगह को भरा.
प्रधानमंत्री ने कहा, 1947 में देश आजाद हुआ. इस दौरान आजादी के आंदोलन के दौरान अलग-अलग पड़ाव आए. लेकिन 47 की आजादी से पहले 1942 की घटना एक प्रकार से अंतिम व्यापक जनसंघर्ष था. इस जनसंघर्ष में आजादी के लिए लड़ रहे देशवासियों को सही समय का इंतजार था. इस दौरान भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद जैसे सपूतों ने बलिदान दिया. 1942 के इस आंदोलन से देश का हर आदमी जुड़ गया था. गांधी के शब्दों को लेकर सब चल पड़े थे. यही समय था, जब अंतिम स्वर में बात आई ‘भारत छोड़ो’. पीएम ने कहा, महात्मा गांधी के मुंह से ‘करेंगे या मरेंगे’ शब्द देश के लिए अजूबा थे. गांधी ने कहा था कि मैं पूर्ण स्वतंत्रता से कम किसी भी चीज पर संतुष्ट होने वाला नहीं हूं. हम करेंगे या मरेंगे.
उस समय जनभावनाओं के अनुकूल बापू ने इन शब्दों का प्रयोग किया था. हर कोई इन शब्दों के साथ जुड़ गया था. प्रधानमंत्री ने कहा, देश में उस समय भावनाएं चरम पर थीं. रामवृक्ष बेनीपुरी नेएक किताब में लिखा है कि उस समय देश में एक अद्भुत वातावरण बन गया. हर व्यक्ति नेता बन गया. हर चौराहे और कोने में ‘करो या मरो’ का नारा गूंजने लगा. हर व्यक्ति ने ‘करो या मरो’ के गांधीवाधी मंत्र को अपने दिल में बसा लिया. ब्रिटिश उपनिवेशवाद भारत से शुरू हुआ, और उसका अंत भी यहीं हुआ, क्योंकि जब हम एक मन से संकल्प करके लक्ष्य में जुट जाते हैं, तो देश को गुलामी की जंजीरों से बाहर निकाल सकते हैं. राष्ट्रकवि सोहन लाल द्विवेदी ने कहा था, जिस तरफ गांधी के कदम पड़ जाते थे, वहां करोड़ों लोग चलने लगते थे. जहां गांधी की दृष्टि पड़ जाती थी, करोड़ों लोग उस ओर देखने लगते थे.
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, आज हमारे पास गांधी नहीं हैं, लेकिन सवा सौ करोड़ देशवासियों के साथ मिलकर काम करें, तो गांधी के सपनों को पूरा करना मुश्किल काम नहीं है. 1942 में उस समय भी हम कई देशों के लिए प्रेरणा का कारण बने थे, वैसे ही मोड़ पर आज भी खड़े हैं. आज भी हम दूसरे देशों के लिए प्रेरणा का कारण बन सकते हैं. हमारे लिए दल से बड़ा देश होता है, राजनीति से ऊपर राष्ट्रनीति होती है. मुझसे ऊपर सवा सौ करोड़ देशवासी होते हैं. अगर हम मिलकर चलें, तो समस्याओं के खिलाफ आगे बढ़ सकते हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा, भ्रष्टाचार रूपी दीमक ने देश को बर्बाद करके रखा हुआ है. अगर मैं रेड लाइट क्रॉस करके निकलता हूं, तो लगता ही नहीं कि गलत कर रहा हूं. हमारे व्यवाहर में नियमों को तोड़ना स्वभाव बनता जा रहा है. कहीं एक्सीडेंट हो गया, तो ड्राइवर को मार देते हैं और कार को जला देते हैं. हमारी ‘वे ऑफ लाइफ’ में ऐसी चीजें घुस गई हैं कि लगता ही नहीं, कानून तोड़ रहे हैं. हमारी जिम्मेदारी है कि हम कर्तव्यभाव को जगाएं. छोटी- छोटी गलतियां हमारे व्यवहार का हिस्सा बन गई हैं.
उन्होंने कहा, वही पांच साल का ‘हाई जंप’ वाला समय हम 2017 से 2022 के बीच दोबारा ले आएं, तो भारत पूरे दुनिया के लिए प्रेरणा बनेगा. जीएसटी की सफलता किसी एक की सफलता नहीं, इस सदन में बैठे हर आदमी की इच्छा है. यह दुनिया के लिए अजूबा है. दुनिया सोच रही है कि यह देश कर सकता है, तो कोई भी कर सकता है. 2017 से 22 के दौरान हम मिलकर काम करेंगे, तो भारत को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे. हम 2022 तक देश से भ्रष्टाचार दूर करेंगे. सभी मिलकर गरीबों को उनका अधिकार दिलाएंगे, नौजवानों को रोजगार के अवसर देंगे और देकर रहेंगे, कुपोषण के खिलाफ मिलकर लड़ेंगे और लड़के रहेंगे. महिलाओं को आगे बढ़ने से रोकने वाली बेड़ियों को खत्म करेंगे और करके रहेंगे, अशिक्षा को खत्म करेंगे और करके रहेंगे. आजाद हिन्दुस्तान का मंत्र है – करेंगे और करके रहेंगे.
[शैलेष दुबे]