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रेलवे खानपान व्यवस्था में करोड़ो का गोलमाल।

जबलपुर: रेलवे की कमाई के लिए यात्री टिकिट के साथ मालगोदाम व खानपान से आने वाला राजस्व महत्वपूर्ण होता है।इससे रेलवे को करोड़ो रुपय प्रतिमाह की आय होती है।लेकिन खानपान ठेकेदार रेलवे के बड़े अधिकारियो से सेटिंग कर रेलवे को करोड़ो का चूना लगा रहे है।
सूत्रो की माने तो स्टाल के साथ फ्री अटैच ट्रालियों की लायसेंसी द्वारा वेंडरों को 7हजार प्रतिदिन के हिसाब से किराए पर दिया है जिसका कुछ हिस्सा सम्बंधित अधिकारी के जेब में जाता है।सात हजार एक ट्राली के मान से 12 ट्रालियों का 84हजार प्रतिदिन मतलब एक वर्ष में 3 करोड़ 66 लाख का लगभग राजस्व को रेल अधिकारी और लायसेंसी मिलकर चूना लगा रहे है।
खानपान ठेकेदार टेम्परेरी एक्सटेंशन के नाम पर करोड़ो रूपय की लायसेंसी फ़ीस बचा रहे है।जबकि रेलवे केटरिंग पॉलिसी 2010 व 2017 में दर्शाए गए नियमों में कही इस बात का उल्लेख नही है।जबलपुर जोन में प्राइज विड खोलने के पश्चात नये कांट्रेक्ट,नये यूनिट जी एम यू एस भोपाल,इटारसी,बीना स्टेशनों पर दिए गए है। इसमे महत्वपूर्ण बात यह है की ठेकेदारों के राजस्व दबाव में आकर जबलपुर जोन के पुराने लायसेंस धारक इस समय अनेक केटरिंग यूनिट एक ही स्टेशन पर एक साथ चालू रखी गई है।रेल प्रशासन का यह कार्य केटरिंग सेवा के अनुच्छेद5.2 का उल्लंघन है।अनुच्छेद5.2 स्पष्ट दर्शाता है कि एक प्लेटफार्म पर 6 से ज्यादा यूनिट नही होनी चाहिए तथा ए एंड ए-1 केटेगिरी स्टेशनों पर छोटे प्लेटफार्म पर निश्चित यूनिट नही होना चाहिए।इसके विपरीत एक-एक प्लेटफार्म पर 10से ज्यादा केटरिंग यूनिट संचालित की जा रही है।
इसी तरह लायसेंस फीस के सन्दर्भ में 2010 एवम 2017 में बनाई गई केटरिंग पॉलिसी में विशेष तथा लायसेंस के पुराने अनुबंध को आगे बढ़ाने या नियमित करने की दशा में निम्नतालिका में स्पष्ट उल्लेख है।धारा18 लायसेंस फीस निश्चित करने, फीस का निर्धारण निष्पक्ष हो, काम से कम लायसेंस की फीस नए बाजू वाले स्टॉल की यथा स्थिति को देखते हुए उसकी फीस को निर्धारित किया जाए।
(रिपोर्ट- श्रमवीर पत्रकार कल्याण संघ प्रदेश अध्यक्ष-पं. मनु मिश्रा)

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