दमोह@ जहां एक और देश कोरोना महामारी से लड़ रहा है।वही देश का मजदूर अपने गांव को वापस आने के लिए सड़के नाप रहा है।
इस कोरोना को लेकर अभी भी एक तबका जागरूक नहीं है,वह है ग्रामीण आंचल क्योंकि बाहर से लगातार लोग अपने अपने घर लौट रहे हैं पर वह खुद तो जागरुक है पर आसपास के स्थानीय लोग इस बीमारी से जागरूक नहीं है , लोगों को संक्रमण का खतरा है तो इन को जागरूक करने का जिम्मा उठाया संवेदना परिवार के कुछ युवाओं ने , साथ ही ग्रामीण अंचलों में जो बड़े मंदिर हैं और छोटे-छोटे दर्शनीय स्थल है जैसे आपचंद की गुफाएं वहां जाकर स्थानीय जीव जंतुओं को दाना और भोजन की व्यवस्था भी कर रहे हैं।
यह काम आज का नहीं पिछले 42 दिनों से वैभव जैन राजकिशोर कुर्मी और उनकी पूरी टीम द्वारा यह जनसेवा का काम निरंतर जारी है,साथ ही गढ़ाकोटा से लगे दमोह जिले की बॉर्डर के चेक पोस्ट पर पुलिसकर्मियों को भी वैभव जैन और की टीम द्वारा भोजन और चाय की व्यवस्था कराई जा रही है। साथ ही जो अन्य प्रदेशों के मजदूर और मजबूर लोग निकल रहे हैं उन्हें भी दमोह सागर जिले की बॉर्डर पर भोजन के पैकेट देकर रवाना किया जाता है।
(दमोह से अंकित बसेडिया की रिपोर्ट)